नाम लेखन का महत्व व नियम -

महत्व -

अनेक महापुरुषों ने भगवन नाम लेखन के महत्व के बारे में बताते हुए कहा है कि नाम महाराज की शक्ति वह महिमा अनंत है जिसका पार बडे से बड़े ऋषि मुनि  देवता भी नहीं पा सके । भक्तजन सेना महाराज की कृपा अनंत है संसार की बड़ी से बड़ी शक्ति भी जहां शुन्य हो जाती है   उन  नाम महाराज में  श्रद्धा रखने वाले जीव का कल्याण कैसे नहीं होगा । नाम लेखन करते समय हमारा जो समय नाम महाराज के चिंतन, लेखन व दर्शन मे जाता है, उससे बड़ी साधना कोई नहीं हो सकती अतः जो जीव अपना कल्याण चाहते हैं उन्हें नाम लेखन अवश्य करना चाहिए ।

जो समस्त कल्याण का खजाना, कलयुग के संपूर्ण पापों को मथ  देने वाला है, जो पवित्रो को पवित्र करने वाला है जो वाल्मीकि व्यास आदि कविवरों की वणियो का एकमात्र विश्राम स्थान है, जो शीघ्र ही परम पद को पाने के लिए प्रस्थान करने वाले मुमुक्ष् पुरुषों के मार्ग का पाथेय है, और जो धर्म रूपी वृक्ष का बीज है अर्थात जैसे बीज में पुष्प, फल आदि सब विद्यमान रहते हैं, वैसे ही इस धर्म रूपी वृक्ष के बीज रूप  राम मे धर्म के सब अंग विद्यमान हैं । ऐसा सज्जनों का जीवन धन राम नाम आपको ऐश्वर्य प्रदान करें परम कल्याण करें |

नियम -

कोई भी श्रद्धालु भक्त शुद्ध अवस्था में शुद्ध स्थान पर बैठकर अपने इष्ट नाम महाराज का स्मरण कर नाम लेखन कर सकते हैं |

जिन भक्तों की कोई लौकिक कामना नहीं, जो केवल भगवत प्रेम में नाम लेखन करना चाहते हैं उनके लिए कोई विशेष नियम नहीं है| वह अपने इस्ट नाम  महाराज को प्रणाम कर उनका स्मरण करते हुए नाम लेखन कर सकते हैं।

जिन भक्तों के जीवन में किसी भी प्रकार की लौकिक कामना हो या किसी भी प्रकार की व्याधि से ग्रसित हो वह अपनी समस्या के निवारण के लिए नाम लेखन करना चाहते हैं तो उन्हें निम्न नियम का पालन करते हुए नाम लेखन करना चाहिए ।

  • नाम लेखन शुरू करने से पूर्व अपने इष्ट नाम महाराज से प्रार्थना करते हुए अपनी कामना उनसे कहनी चाहिए ।
  •   किसी एक कामना की पूर्ति के लिए कम से कम 125000 नाम लेखन अवश्य करना चाहिए ।
  •  प्रतिदिन 500 नाम लेखन का नियम रखना चाहिए ऐसा करने से आपका 125000 नाम लेखन का संकल्प 8 माह 10 दिन में पूरा हो जाएगा ।
  •  श्री भगवन्नाम लेखन की अवधि पूर्ण होने पर किसी गरीब, असहाय, ब्राह्मण या साधु संतो को भोजन करवाना चाहिए । यदि कोई भक्तजन ऐसा करने में असमर्थ हो तो गौ माता को कुछ मधुर खिलाये और चरन पकडकर उनसे प्रार्थना करें |